नमन देश के वीर तुझे - by Somdutt Sharma Ashri


नमन देश के वीर तुझे

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नमन देश की मिट्टी तुझको नमन देश के वीर तुझे,

सर्दी गर्मी वर्षा सूखा झुका ना पाए दुश्मन के तीर तुझे।


तप्ती धूप और तूफानों में निष्ठा से पहरा देता है,

कोई अच्छा हो या बुरा हो सबको संरक्षण देता है।

ना मखमल ना रेशमी कोई वर्दी से बढ़कर चीर तुझे,

नमन देश की मिट्टी तुझको नमन देश के वीर तुझे।


अपने परिवार की चिन्ता छोड़ देश की चिन्ता करता है,

देश की शान न मिटने पाए तू देश की खातिर मरता है।

बाधाएँ मार्ग में आ आकर के बना देती हैं धीर तुझे,

नमन देश की मिट्टी तुझको नमन देश के वीर तुझे।


सुबह का पता ना रात का हौंसले फिर भी बुलन्द तेरे,

देश के वीर सिपाही जो तुमने किए उत्कृष्ट हैं प्रबंध तेरे।

लाखों समस्या चाहे हों पथ में कर नहीं पाई अधीर तुझे,

नमन देश की मिट्टी तुझको नमन देश के वीर तुझे।


जीवनशैली देखकर तेरी ये सोमदत्त शर्मा हैरान है,

तू ही विद्यमान है कण कण में तुझसे देश की शान है।

मरते दम तक झुका ना पाई दुश्मन की शमशीर तुझे,

नमन देश की मिट्टी तुझको नमन देश के वीर तुझे।


- सोमदत्त शर्मा आसरी

कुरुक्षेत्र, हरियाणा

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