वतन के ऐ नौजवानों - by Pappu Yadav
वतन के ऐ नौजवानों
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वतन के ऐ नौजवानों!
जरा सुन लो,ऐ दिल के नदानों!
अब ना इश्क के महफिलों से,
कोई काम चलेगा,
हीर-रांझा की बातों से,
अब ना कोई बात बनेगा।
वतन की आबरू को मौज में,
तुम यूँ न लुटा दो।
वतन के ऐ नौजवानों!
जरा सुन लो,ऐ दिल के नादानों!!
दिल में वतन-ए-मोहब्बत अब तुम जगा लो,
आँख में शोला दुश्मनों के लिए तुम जला दो।
अपनी जवानी वतन की खातिर तुम लगा दो।
वतन के ऐ नौजवानों!
जरा सुन लो,ऐ दिल के नादानो!
धरती रोती है आज अपने,
लालों को यूँ खोकर।
चीर कर दुश्मनों के छाती का,
लहू तुम बहा दो।
खेल की खून की होलियाँ,
माँ के चरण धुला दो।
वतन के ऐ नौजवानों!
जरा सुन लो,ऐ दिल के नादानों!
जिंदगी जश्न-ए-जवानी की नगमें में,यूँ ना गंवा दो।
शौक-ए-जवानी वतन की खातिर तुम यूँ लगा दो।
धरती माँगती है जीने की कीमत तुम जान लुटा दो।
वतन के ऐ नौजवानों!
जरा सुन लो,ऐ दिल के नादानों!
- पप्पू यादव
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