हे सरहद के सूर - by Jabra Ram Kandara
हे सरहद के सूर
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मार गिराना शत्रु को, क्षमता है भरपूर।
तुझ पे गर्व है देश को, हे सरहद के सूर।।
सीना भीम समान है, अर्जुन जैसा वार।
लखन जैसा क्रोध भरा,हनुमत सी हुँकार।।
शेर जैसी छलांग है, फुर्ती बाज समान।
अंग-बल गयंद सा है,गति घोटक सम जान।।
कर्म राष्ट्र की सुरक्षा, यही धर्म बस बोध।
संकट आवे देश पे,कड़के हिय में क्रोध।।
देश काज अर्पण सबै, धन-दौलत भंडार।
तत्पर हर पल देन को,अपना सीस उतार।।
धन्यवाद तोहि सुरमा, पक्के पहरेदार ।
प्राण हथेली में धरे, सदा खड़े तैयार।।
तुमरे बलबूते सदा, सब सोते सुख नींद।
जन्म सफल तुम धन्य हो,तुम सबकी उम्मीद।।
- जबरा राम कंडारा
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