भारत की तस्वीर - by Gajanand Digoniya
भारत की तस्वीर
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चरणों में सागर है जिसके,
मस्तक पर कश्मीर है।
धीरे-धीरे बदल रही है,
भारत की तस्वीर है।
यहाँ तराना वीर भगत का,
रानी का श्रृंगार है।
सबके मन में एक ही ज्वाला,
से बनता अंगार है।
फूल खिले हैं इस धरती पर,
कितने रंग बिरंगे ।
अमृत सा मीठा जल लेकर,
नदियों में उठे तरंगे।
कितना सुंदर दृश्य जगत से,
अनुपम और सुहाना है।
ताल तलैया झील नदी सब,
भारत की गौरव गाथा है।
आदिकाल से चारण बंदी,
विरुदा वली को गाते हैं।
तक्षशिला नालंदा में तो,
सभी जगत के आते हैं।
राम अयोध्या कृष्ण ने मथुरा,
की धरती में जन्म लिया।
रावण कंस देत्य दानव को,
मार कर उनको धन्य किया।
पावन मिट्टी का हर कोना,
पावन रूप स्वरूप बना।
सारे जगत में कहीं नहीं है,
भारत के जैसा देश बना।
सोना- चांदी, हीरे- मोती,
कितने रत्न उगलती है।
ऋषि मुनि सती सन्यासी,
भारत में ना कोई गिनती है।
भारत की मिट्टी पावन है,
कोटि-कोटि जिसे वंदन है।
सतपुड़ा विंध्याचल पर्वत के,
सब तरु मानो चंदन है।
प्यारा भारत देश हमारा,
हमको जान से प्यारा है।
इसीलिए यह जगतगुरू,
सबकी आंखों का तारा है।
- गजानंद डिगोनिया
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