धन्य देश की माटी - Dr. Ramdular Singh Paraya


धन्य देश की माटी

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जहाँ हिंद की, इस दुनिया में थी अपनी सुंदर पहचान,

गले लगाते इक दूजे को, रखते सबका मान।

सत्य अहिंसा पाठ जहाँ, घर-घर में पढ़ाया जाता,

इस वसुधा पर स्वर्ग लोक, भारत में पाया जाता।

दहशत खून खराबे की, जहाँ न होती होली,

भाई-चारे मानवता की धूम मचाती टोली।

गाँधी, गौतम और सुभाष के भारत की यह थाती,

सदियों से सब तिलक लगाते, धन्य देश की माटी।

कभी ना बरबस हाथ उठाया, नहीं किसी से द्वेष,

सदाचार का पाठ पढ़ाता अपना भारत देश।

इस जगती में भारत जैसा दूजा यहाँ नहीं है देश,

जम्मू से कन्याकुमारी तक है इसका अनुपम परिवेश।


- डॉ० रामदुलार सिंह पराया

मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश

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