सबसे धनवान कौन - by Nita Sharma


सबसे धनवान कौन

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आज का दिन था ही इतना महत्वपूर्ण। आज राज्य के सबसे धनी व्यक्ति को सम्मानित जो किया जाना था। असल में राज्य की एक समाज सेवा संस्था ने अनोखी प्रतियोगिता आयोजित की थी - "सबसे धनवान कौन"


प्रतियोगिता का आयोजन करने का उद्देश्य कुछ भी रहा हो पर था बहुत रोचक। ईमानदारी से कमाई अपनी संपत्ति का ब्यौरा एक कागज़ पर लिख कर देना था जिसकी पुष्टि हो जाने के बाद ही सबसे धनवान व्यक्ति को पुरस्कृत किया जाना था। प्रतियोगिता निशुल्क और सबके लिए थी। नाम और शोहरत एक ऐसा नशा है जिसको पाने की होड़ में इंसान सारी उम्र भागता रहता है मगर हर किसी के हाथ नहीं लगती। और ऐसे में जब एक सुनहरा मौका सामने था तो कोई भी इसको गंवाना नहीं चाहता था। धनवानों की कोई कमी नहीं थी राज्य में पर "सबसे धनवान कौन" इस उपाधि को सब पाना चाहते थे। कार्यक्रम स्थल पर एक से एक शानदार गाड़ियों की लाइन लगी हुई थी। समारोह शुरू होने वाला था। सभी दावेदार अपनी अपनी कुर्सी पर विराजमान हो गए थे। मुख्य अतिथि का इंतजार हो रहा था।


खैर, समारोह में मुख्य अतिथि के आगमन के साथ ही सभी औपचारिकताओं के बाद प्रतियोगिता से संबंधित जानकारी दी जाने लगी।


"हैलो, हैलो! जैसा की आप सब जानते ही हैं की हम सब आज किस कार्यक्रम के उपलक्ष्य में यहाँ उपस्थित हुए हैं। यूँ तो इस राज्य में अनेकानेक धनी सेठ, साहूकार, व्यापारी, कर्मचारी आदि रहते हैं। इस प्रतियोगिता में सौ से भी अधिक आवेदन आए थे हमें, परंतु सभी नियमों की जाँच पड़ताल और लगभग दो माह के अथक परिश्रम के उपरांत केवल पैंसठ धनवानों को चयनित किया गया है। जिन्होंने अपनी चल अचल संपत्ति का पूर्ण विवरण ठीक दिया था। केवल उन पैंसठ महानुभावों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है। तो , अब आप सब दिल थाम के बैठिए हम बताने जा रहें है कि कौन हैं वो व्यक्ति जिसे हमारे राज्य में "सबसे धनवान कौन" की उपाधि से सुशोभित किया जाएगा।

पूरे हॉल में शांति छा गई। बेशक अपने धन का सही मूल्यांकन कर उसे सबके सामने प्रस्तुत करना नामुमकिन और अति जटिल कार्य होता है। परंतु रुतबे और प्रसिद्धि पाने के लिए कुछ गरल पीना ही पड़ता है। कोई भी इस उपाधि से वंचित नहीं रहना चाहता था। प्रतियोगिता की एक बहुत अच्छी बात थी की नियमानुसार केवलमात्र पुरस्कृत प्रतियोगी की संपति का ही ब्यौरा सबके सामने बताया जाना था बाकी सबकी संपति को पूर्णतया गुप्त रखा जाना था।


"तो उपस्थित सभी प्रतियोगियों के सामने हम प्रस्तुत कर रहे है वो नाम जिसे हमारी संस्था द्वारा केवल चयनित किया गया है परंतु उसे विजेता बनाना है या नहीं ये आप सबकी स्वीकृति के उपरांत ही घोषित किया जाएगा। बहुत विचार विमर्श के उपरांत ही ये नाम हमें इस उपाधि के लिए उपयुक्त लगा। फिर भी इनको विजेता घोषित करने से पहले हम आप सबकी राय और विचार अवश्य जानना चाहेंगे। यदि आप हमारे चयनकर्ताओं की राय से सहमत हुए तो केवल करतल ध्वनि से अपनी स्वीकृति दे दीजिएगा।" ऐसा सुनते ही पूरा हाल एकसाथ करतल ध्वनि से गूँज उठा।


"दिल को थाम लिजिए क्योंकि अब हम आमंत्रित कर रहे हैं श्रीमती शारदा देवी को, जो एक गृहणी हैं और हमारे निर्णायक मंडल द्वारा इस प्रतियोगिता के प्रतिभागियों में से इन्हीं को इस उपाधि के लिए चयनित किया है। ये अपनी संपत्ति का ब्यौरा खुद आपके सम्मुख प्रस्तुत करेंगी। जिसको सुनकर आप सभी निर्णय करेंगे की ये इस उपाधि के लिए उपयुक्त हैं अथवा नहीं। श्रीमती शारदा जी आपको हम सादर आमंत्रित करते हैं कि आप स्टेज पर आएँ और खुद अपनी धन संपदा का ब्यौरा सबके समक्ष पढ़कर सुुुनाएँ।"


हाल में सबकी नजरें इधर उधर दौड़ने लगी। ये नाम तो कभी सुनने में नहीं आया था। कौन है ये शारदा देवी? राज्यभर के गणमान्य लोगों में तो ये नाम पहले कभी नहीं सुना था। एक औरत! सबकी उत्सुकतता बढ़ गई। तभी अचानक एक दुबली-पतली, सूती साड़ी पहने सीधी सादी सी महिला हॉल के सबसे पिछली पंक्ति से उठकर धीरे-धीरे चलती हुई स्टेज पर पहुँची। उसे देखते ही सारे हाल में सन्नाटा और विस्मय छा गया। सब आवाक और हतप्रभ से जड़ हो गए। इतनी साधारण सी, क्या ये है सबसे धनवान? आश्चर्य !


"तो अब ये खुद पढ़कर बताएँगी इनकी कुल संपदा का ब्यौरा जो इन्होने हमें लिख के भेजा था।"


"उपस्थित सभी सज्जनों और महिलाओं को मेरा सादर नमस्कार," सबके सामने हाथ जोडकर खड़ी हो गई और कंपकपाती धीमी सी आवाज़ में बोलना शुरु किया।


"मेरे परिवार की कुल अर्जित संपदा है - एक लोन पर ली गई मारुति डिजायर कार जिसकी पच्चीस किस्तें अभी बाकी हैं, हमारे बैंक में दो खाते हैं जिनमे कुल बचत राशि ₹ 28643 है। हमारा दो कमरों और रसोई का किराए का छोटा-सा मकान है और घर में रहने वाले कुल सदस्य हैं दस। मैं, मेरे पति, हमारे दो बच्चे, मेरी बूढ़ी बीमार सास, एक देवर, एक ननद, दहेज के कारण परित्यकता मेरी बहन और उसकी 12 वर्षीय बेटी और मेरी अपनी बूढ़ी माँ। मेरे पति टैक्सी चालक हैं जिनकी मासिक आय बीस से पच्चीस हजार होती है। मैं दो घरों में खाना पकाकर दस हजार कमाती हूँ। मेरी बहन और ननद बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर पंद्रह हज़ार कमाती है। देवर मोबाइल रिपेयरिंग का कार्य सीख रहा है। हमारी कुल मासिक आय पैंतालीस से सैंतालीस हजार तक है जिसमे से हर महीने पंद्रह हजार टैक्सी की ईएमआई देनी होती है। बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं। मेरे पति एक बहुत ही अच्छे पति, पिता, पुत्र, भाई, जीजा और जमाई हैं हर रिश्ते को पूरा प्यार और सम्मान देते हैं। छोटे से घर में इतने सदस्यों के होते हुए भी हम सबके रिश्ते में आत्मीयता, आदर सम्मान का भाव है। बिना किसी मनमुटाव के हर सदस्य के मुख पर मुस्कान और संतोष रहता है। दो साक्षात देवी रूपी माताओं से सुसज्जित मेरा घर एक पवित्र मंदिर के समान है। मेरे घर में सुख, शांति, समृद्धि और संस्कारों की बयार बहती है। घर का कोई सदस्य नशा अथवा व्यसन नहीं करता। मेरा परिवार एकता और प्यार के सूत्र से बंधा है। सही मायनो में मेरे घर की खुशहाली, संस्कार , संतोष और एक दूसरे के प्रति प्रेम, समर्पण और आदर भाव यही मेरे परिवार की कुल संपदा है। इसलिए मेरे विचार से मुझ से ज्यादा धनी इस राज्य में क्या संसार में भी कोई नही हैं।" और वो चुप हो गई। हाल में पूर्णतया सन्नाटा छा गया। पूर्ण निस्तब्धता !


"तो अब आप सब बताइए कि "सबसे धनवान कौन" क्या शारदा देवी इस उपाधि की असली हकदार बन सकती हैं या नहीं ?" माइक पर आवाज गूँजी।


सब ओर शांति छाई हुई थी। पूर्ण सन्नाटा। कुछ क्षण के बाद धीमी सी करतल ध्वनि, थोड़ी ज्यादा और फिर इतनी करतल ध्वनि हुई कि न केवल हाल, सारा शहर ही उस ध्वनि से गुंजायमान हो उठा।


- नीता शर्मा

जालूपाड़ा, शिलांग, मेघालय

स्नातकोत्तर हिंदी, जम्मू विश्वविद्यालय

कार्यरत - हिंदी उद्घोषिका, आकाशवाणी पूर्वोत्तर सेवा, शिलांग

रूची - लेखन और चित्रकला

कई पत्रिकाओं और e-Magazines में कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित

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