दुग्धपान - by Dr. Ratna Manik
दुग्धपान
नन्दिनी ने नाद में मुँह डाला तो आज उसे अपना भूसा बड़ा रुखा - सूखा सा लगा, न खली का रसीलापन न चोकर का स्वाद। उसने नाद से मुँह फेरना चाहा परंतु उसे अपने प्यारे नन्दू का छोटा सा मुँह और कजरारी आँखों में माँ का दूध पीने की आकुलता दिखाई देने लगी, सोचने लगी, नहीं खाऊँगी तो मेरे नन्दू को दूध कहाँ से मिलेगा ?
तभी नन्दिनी को अपने दैत्याकार मालिक का कठोर स्वर सुनाई दिया - "अरे भीमा! नन्दिनिया का दूध अच्छे से निकाल लियो, नन्दुआ भरपेट दूध पीकर दिन भर गबरीला हो सोता रहता है, बाछी रहती तो हमरे काम भी आती, ईऽऽऽ सरऊ का करिहन?आ दूध वाले गाहक भी तो आजकाल बढ़ गए हैं,उनको दूध कम न पड़ना चाहिये ।"
नन्दिनी अपने मालिक की ओर आँखें तरेर कर देखते हुए सोचने लगी - "हुँह! दूध कम न पड़ना चाहिये और मेरा पुत्र भूखा रहें ?" माँऽऽऽआऽऽऽआऽऽऽ नन्दिनी ने रम्भाते हुए मलिक के प्रति अपना विद्रोह प्रकट किया।
नन्दू भी भूख से व्याकुल अपने पतले स्वर में माँऽऽऽआऽऽऽआऽऽऽ पुकार उठा, पुत्र के भूख का अनुभव कर उसके आकुल स्वर में अपना स्वर मिला कर नन्दिनी जैसे भीमा ग्वाले को पुकारने लगी -"माँऽऽऽआऽऽऽ।"
"अरे! रुक रे आवतनी, तनी - मनी अबेर हो जाला त हे तरी चिल्लाईल जाला?" कहता हुआ भीमा दुलार से झिड्की देते हुए बाल्टी, नेवडा लेकर पहुंच गया। नन्दू, भीमा को देखकर पगहा खुलवाने के लिए हुमचने लगा और पगहा खुलते ही माँ के थन से जा लगा, नन्दिनी दुलार से पुत्र को चाटने लगी। नन्दू अभी माँ के दूध का पूरा आनंद ले भी नहीं पाया था कि फिर मालिक का स्वर गूंजा - "अरे भीमा! तू सुनेगा की नहीं, तू ज्यादे दुलार मत दिखा नन्दुआ पर,उसके लिए ढेर दूध मत छोड़ना,पी पीकर अभिये से सांड हो जायेगा।"
नन्दिनी सिहर उठी आज फिर उसके लाल का पेट नहीं भरेगा, जब से पैदा हुआ है इस दैत्य ने मेरे बेटे को भरपेट दूध भी पीने नहीं दिया है। इस नीच को केवल अपने गाहकों की पड़ी है।
दूध निकालते समय भी निर्दयी मालिक वहीं खड़ा रहा। नन्दिनी के थन से दूध की एक-एक बूँद निचोड़वाने के लिए, बेचारे नन्दू को माँ के थन से तनिक भी दूध न मिला गुस्से से उसके नथुने फूल गए, उसने अपने सिर से माँ के थन पर हल्का आघात भी किया लेकिन बेकार, क्षुधा अतृप्त ही रही ।
आधी रात को सबके सो जाने पर नन्दिनी ने अपना पगहा चबा-चबाकर काट डाला और भूखे नन्दू को उसने भरपेट दूध पिलाया उसे पता था वह दैत्य सुबह मार-मार कर उसकी खाल उधेड़ देगा लेकिन उसका मन तृप्त हो उठा अपने लाल को दुग्धपान करा कर।
- डॉ० रत्ना मानिक
जमशेदपुर, झारखंड
शिक्षा - एम०ए०, पी०एच०डी०
विभागाध्यक्ष - हिन्दी विभाग
प्लस टू सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पिछले 16 सालों से सीनियर टीचर
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