महुआ घटवारिन जिंदाबाद - by Vishdhar Shankar


महुआ घटवारिन जिंदाबाद

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सूर्यास्त होने वाला है। नदी के किनारे महुआ घटवारिन का खेत है। उसके खेत धानों से लहलहा रहे हैं। उसके खेत के आसपास जितनी भी खेत हैं, उजड़े चमन की तरह बंजर पड़े हैं। दो किसान आपस में बातें कर रहे हैं, "जानते हो महेश भाई, इस गाँव की सबसे बड़ी ओझाइन महुआ घटवारिन और उसका पति है, हर साल की तरह इस साल भी उनके खेत धानों से लहलहा रहे हैं, और पूरे गाँव की खेत बंजर भूमि की तरह पड़ी हुई है। समझ में नहीं आता कि महुआ घटवारिन कौन-सी जादूगरी करती है कि केवल उसके ही खेत लहलहाते हैं।" 

तभी दुसरा किसान बोलता है - "ऊ कैसे भाई?" तभी पहला किसान बोलता है - "हमारे पूरे करजरा गाँव में केवल महुआ घटवारिन के खेतों में ही अच्छी फसल हुई है, बाकी पूरे करजरा गाँव के खेतीबाड़ी मातम मना रहे हैं। इस गाँव के सभी दूसरे किसानों की फसलें मर गए हैं। इस महुआ घटवारिन ने सबके खेतों में बाण मार रखी है। हम कल ही पूरे पंचायत में यह बात कहकर महुआ घटवारिन को घसीटेगें। नाक में दम कर रखा है इस औरत ने, हम सब कल ही मुखिया जी के सामने अपनी शिकायत दर्ज कराकर, करजरा में पंचायत करवाने की माँग करेंगे।" तभी दुसरा किसान बोलता है कि सही कह रहे हो विशेसर भाई, एकदम सही कह रहे हो? इस महुआ घटवारिन के पर कुतरने हीं होगें। आखिर इसने पूरे करजरा में कौन-सा जादू चला रखा है कि केवल इसके ही खेत लहलहाती है, बाकी खेत लहलहना तो दूर पानी भी नहीं माँगती। झुलस कर मर जाती है।


दूसरे दिन पंचायत भवन में काफी गहमागहमी और भीड इकट्ठी हो गई। तभी पंचायत भवन में मुखिया जी का प्रवेश होता है, मुखिया जी अपने कुर्सी पर विराजमान होते हैं, और मुखिया बड़े सख्त लहजे में आदेश देते हैं कि महुआ घटवारिन को पेश किया जाए। तभी एक किसान महुआ घटवारिन को पंचायत के सामने घसीटकर लाता है। महुआ घटवारिन डर के मारे थरथर काँप रही थी। तभी एक किसान गुस्से से चिल्लाकर कहता है - " बोल चुड़ैल मुखिया जी के सामने कि कौन-सी जादू कर दिया है पूरे करजरा के खेती में, जो केवल तेरी ही फसल लहलहाती है, बाकी किसानों की फसलें क्यों मर जाती है?"


"मुखिया जी, कई साल से हमारे खेत की फसलें उजड़े चमन की माफिक बंजर भूमि की तरह पड़ी हुई है, फसलें न होने के कारण हर साल कोई-न-कोई किसान यहाँ आत्महत्या कर लेता है, पिछले साल सात-आठ किसानों ने यहाँ आत्महत्या कर ली है। आख़िर हम कबत क इस चुडैल का प्रकोप सहते रहे, गाँव में हर साल मातम हो जाता है। अब तो इस गाँव में खेतीबाड़ी नहीं होने के कारण हमारा जीना दूभर हो गया है मुखिया जी, क्या करें, क्या न करे समझ में नहीं आता?"


चारों ओर खामोशी पसरी हुई है, महुआ घटवारिन कातर चुप्पी निगाहों से थरथर काँपती हुई मुखिया जी को देख रही है, जैसे उसने अपनी खेतों में फसलें उगाकर कोई बहुत बड़ा पाप कर लिया है, जिसका प्रायश्चित करने के लिए उसे पंचायत के सामने घसीटकर लाया गया है, और अब उसे मुखिया जी के सामने दंड दिया जाएगा। महुआ घटवारिन पंचायत के भीड़ के बीचों-बीच एक तमाशबीन की तरह खामोशी से गिड़गिड़ा रही है, उसे खुद भी नहीं पता कि उसके साथ क्या होने वाला है? तभी महुआ घटवारिन गिड़गिड़ाते हुई कहती है - "माई-बाप, अन्नदाता! हमारी इसमें क्या गलती है? जो केवल मेरी ही फसलें हुई है तो? मैंने दिन रात मेहनत करके ही अपनी फसलें उगाई है। और अपने खेतों की मिट्टी में जैविक खाद दे देकर उसकी गुणवत्ता को उन्नत किया है। अपने खेतों की उर्वरा शक्ति को पहले से अधिक शक्तिशाली भी बनाया है। तभी तो हमारे खेतों में हर साल अच्छी-खासी फ़सलें उगती है। तो इसमें मेरा क्या कसूर है माई-बाप!" तभी मुखिया जी चौकें और बोले - "बहन महुआ घटवारिन, क्या, क्या कहा, ये जैविक खाद की खेती क्या बला है? ये जैविक खाद क्या होता है?"


मुखिया जी की बात सुनकर महुआ घटवारिन बोल पड़ती है - "मुखिया जी, क्या आप भी जैविक खाद के बारे में नहीं जानते?  क्या आपको पता है कि खाद तीन प्रकार के होते हैं, एक रासायनिक खाद होता है, जिसे हम यूरिया कहते हैं, दूसरा स्वर्ण खाद जो हमारे मल-मूत्र से निर्मित होती है, और तीसरा जैविक खाद, जो कि कूड़े-कचरे इकट्ठा कर केचुओं के द्वारा पैदा किया जाता है, जिसे सबसे उत्तम खाद माना जाता है, जिसके बनाने के लिए कुछ विधियों का प्रयोग कर बनाया जा सकता है? उसे आप और हम कोई भी सरल विधि की जानकारी लेकर बना सकता है।" महुआ घटवारिन मुखिया जी को अपने विश्वास में लेती हुई फिर कहती है - "मुखिया जी, हमलोगो ने अधिक पैदावार की लालच में अपने खेतों में यूरिया खाद डाल-डालकर अपने ही खेतों को बर्बाद कर दिया है, मिट्टी की उर्वरा शक्ति को पहले ही नष्ट कर दिया है, जिसके कारण हमारे खेतों की पैदावार कम हो गई है। मेरे खेतों की भी उर्वरा शक्ति नष्ट हो गई थी, तब हमने एक संस्था बारे में जाना और वहाँ जाकर मैंने अपने खेतों की उपज बढ़ाने हेतु जानकारी प्राप्त की थी। उस कार्यक्रम के द्वारा मैंने प्रशिक्षण प्राप्त किया की कैसे जैविक खाद बनाना चाहिए? वहाँ से प्रशिक्षण लेकर मैं अपने घर के पीछे फालतू की जमीन पर जैविक खाद बनाने का ठिकाना बनाया। फिर क्या था, जादू वाली खाद मैं खुद अपने ही घर की फालतू जमीन पर बनाना शुरू कर दिया। जिससे मेरे खेतो की उर्वरा शक्ति बढ़ती चली गई और मैं धीरे-धीरे अपने मेहनत के बल पर अपनी संपन्नता को बढ़ाती रही हूँ, यही वजह है कि पूरा गाँव मेरा दुश्मन बन बैठा है। गाँव के लोग मुझसे जलने लगे। फिर इसमे मेरा क्या दोष है मुखिया जी!" मुखिया जी और पूरे पंचायत के लोग ध्यान पूर्वक महुआ घटवारिन की बात को ध्यान से सुनते रहे। तभी मुखिया जी बोले - "बहन महुआ घटवारिन! यह जैविक खाद बनता कैसे है जिसके कारण पूरा गाँव तुम्हें जादूगरनी कहते हैं?" तभी महुआ घटवारिन बीच में ही टपाक से बोली - "मुखिया जी, मैं कोई जादू-टोना नहीं जानती, आप भी और पूरा गाँव भी जैविक खाद बनाने की विधि सीखकर जादूगर बन सकता है। मैं आप  सबको इसकी विधि सिखाकर जादूगर बना सकती हूँ।" तभी मुखिया जी बोले - "कैसे?" तो महुआ घटवारिन बोली - "तो सुनिए मुखिया जी, इस जैविक खाद बनाने की विधि को हम 'वार्मिंग कंपोस्ट' कहते हैं। इसे बनाने का तरीका बहुत ही आसान है। सबसे पहले हम अपने घर या कहीं भी अपनी फालतू की जमीन पर तीन-तीन फीट का दो-दो लम्बा व चौड़ा  खड्डा खोदा था, फिर उसके बाद हमने घर और उसके आसपास की जितने भी कूड़े-करकट थी उसकी सफाई कर उन कूड़ों को उस खड्डे में डाल दिया था, 15 दिनों के बाद जब वह कूड़ा सड़ने लगा, उसमें से खुब बदबू आने लगी, तब मैंने उसमें उस खड्डे में 200 ग्राम केचुओं को डालकर उस खड्डे को बंद कर दिया थे। ठीक दो या तीन माह बाद वह कचरे का खड्डा जैविक खाद में बदल गया था। उसके बाद मैने, उस खाद को अपने खेतों में नियमित छिड़काव किया, फिर क्या था मुखिया जी, मेरा जादू चल गया और अचानक मेरे खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ने के कारण पैदावार भी निरंतर बढ़ने लगी।" महुआ घटवारिन की बात सुनकर सभी लोग अचंभित हुए, फिर क्या था, यह जादू पूरे गाँव पर सिर चढ़कर बोलने लगा। रातों-रात पूरा का पूरा गाँव साफ-सफाई में जुट गया। पूरा करजरा गाँव साफ व सुन्दर दिखने लगा। चारों ओर जिधर भी देखो खेत लहलहाती नजर आ रही थी। और चारों ओर बिन मौसम के हरियाली नजर आ रही थी, किसानों के चेहरे-मोहरे गर्व से फूले हुए थे, व उनकी छाती चौड़ी नजर आती थी, यह जादू महुआ घटवारिन ने पूरे गाँव को सिखाकर गाँव-देहात की देवी बन गई थी। क्योंकि अब सभी गाँव वाले जैविक खेती का उपयोग करने लगे थे। कुछ ही सालों बाद पूरा गाँव खुशहाल हो गया था।


आज पूरा गाँव मुखिया जी के द्वारा महुआ घटवारिन को सम्मानित करने जा रहा है, उससे पहले गाँव के मुखिया जी, महुआ घटवारिन के घर जाकर अपने किये पर जो कुछ भी महुआ घटवारिन को उल्टा-सीधा कहा था उसके लिए मुखिया जी स्वयं महुआ घटवारिन से क्षमा याचना कर रहे थे, उन्होंने कहा - "हमें क्षमा कर दो महुआ बहन! हम गाँव वालों ने तुम्हारा बहुत अपमान किया है, पाप किया है, जिसके कारण आज हम खुद को बहुत लज्जित महसुस कर रहे हैं। तुमने हम सभी की आँखें खोल दी है। हम तुम्हारे सदा ऋणी रहेंगे। आज के बाद हम कभी भी अपने खेतों में रासायनिक खाद यूरिया का प्रयोग नहीं करेंगे, बल्कि गाँव के हर घर-आँगन में 'वार्मिंग कंपोस्ट' का निर्माण कराएँगे और अपने खेतों की पैदावार बढाएँगें। अब हमारे गाँव का सूर्योदय हो रहा है। हम पूरे गाँव को स्वच्छ बनाएँगे, तुमने हमारी सोच बदल दी।" यह कहते हुए मुखिया जी पास में पड़ी झाड़ू उठाकर उस जगह की सफाई करने लगे, तभी देखते-देखते पूरा का पूरा गाँव झाड़ू लेकर गाँव की सफाई व्यवस्था में जुट गया। और देखते ही देखते पूरा का पूरा गाँव स्वच्छ और साफ हो गया। पूरा का पूरा गाँव "महुआ घटवारिन जिंदाबाद" का नारा लगा रहा थे। मुखिया जी ने महुआ घटवारिन को सम्मानित कर खुद को गर्व महसूस कर रहे थे। 


- विषधर शंकर

गया, बिहार

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