आगे ही कदम बढ़ाएँगे - by Yamuna Dhar Tripathi


आगे ही कदम बढ़ाएँगे

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रहकर स्निग्ध-शांत-सरल,

कर विपत्ति-व्यथा-दुख को ओझल,

सम-शांत भाव अपनाएँगे,

आगे ही कदम बढ़ाएँगे।


आँधी-तूफानों को सहकर,

तप-त्याग-तपस्या कर के निखर,

जीवन दीप जलाएँगे,

आगे ही कदम बढ़ाएँगे।


जल-प्रपात या झंझावात,

प्रचण्ड बवंडर, चक्रवात,

भँवर को दूर भगाएँगे,

आगे ही कदम बढ़ाएँगे।


उपदेश सदा कर आत्मसात,

डिगा सके किसकी विसात?

अति सौम्य-भद्र बन जाएँगे,

आगे ही कदम बढ़ाएँगे।


कलह-टक्कर-मुठभेड़-होड़,

संघर्ष-शत्रुता फोड़-तोड़,

अनुराग बीज बो जाएँगे,

आगे ही कदम बढ़ाएँगे।


- यमुना धर त्रिपाठी

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

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