बचपन का जमाना - by Sukhpreet singh "sukhi"
बचपन का जमाना
-
बातों ही बातों में वो मुस्कुराना तेरा।
याद बहुत है बचपन का जमाना मेरा।।
वैसे तो घर जाने की जल्दी रहती थी मुझको।
पर देख के तुझे वो साइकिल धीरे चलाना मेरा।।
वो मोड़ जो तेरी मेरी राह अलग करता था।
उसी मोड़ पर मुड़ते वक्त वो मुस्कुराना तेरा।।
शाम ढले तू अक्सर छत पर आ जाती थी।
देखकर तुझे छत पर वह पतंग उड़ाना मेरा।।
पूरा आसमां भी मुझे प्यार में रंगा लगता था।
मेरे देखते रहने पर वो धीरे शरमाना तेरा।।
कभी जो याद आए तो मैं गुनगुनाया करता था।
वह हाथों से दरवाजे की ढोलकी बजाना मेरा।।
मैं तेरे पास आने की हर नाकाम कोशिश करता।
और देख कर मुझे पास आकर वो घबराना तेरा।।
किसी कॉपी में कभी दो फूल और खत रखे थे।
आज कुछ नहीं पर कभी था वो खजाना मेरा।।
- सुखप्रीत सिंह "सुखी"
शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
No comments