कैसे छोड़ दूँ - by Ashish Dwivedi Samdaria


कैसे छोड़ दूँ

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कैसे छोड़ दूँ वो हाथ।

कैसे छोड़ दूँ वो साथ।।


जिनके सहारे बचपन बिताया,

जिनके सहारे जवानी है आई।

कैसे छोड़ दूँ वो आँगन,

कैसे छोड़ दूँ वो गलियाँ।।


वो मेरे पालन-हारे,

वहीं मेरे जगत पिता हैं।

उनको मैं कैसे भूलूँगा,

देख बिना कैसे रह पाऊँगा।।


कैसे रोक लूँ मैं,

ये समय का पाहिया।

कैसे मैं यादें भूल पाऊँगा,

एक दिन हम वहीं रह जाएँगे।।


कैसे मैं अब सुकून पाऊँगा,

कैसे तेरे बिन रह पाऊँगा।

तू जाने कैसे, ये हाल मेरा,

तू ही तो मुझे, भूल ना जाएगा।।


कैसे छोड़ दूँ वो हाथ।

कैसे छोड़ दूँ वो साथ।।


- आशीष द्विवेदी समदरिया

शहडोल, मध्य प्रदेश

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