बचपन की बातें - by Ganpat Lal Uday



बचपन की बातें

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बचपन के वह क्या दिन थे हमारे,

हम थे ऐसे वह चमकने वाले तारे।

रोने की वज़ह ना हँसने के बहाने,

खुशियों के खज़ाने इतने थे प्यारे।।


दादा एवं दादी वो नाना एवं नानी,

भैया-भाभी पापा-मम्मी ये हमारे।

बुआ फूफा फ़िक्र करते थे हमारी,

बचपन में प्यार बरसाते यह सारे।।


आज खड़े है हम उनकी वजह से,

जो कुछ है सब उन्हीं की दुआ से।

लाड-प्यार से पाला था हमें सबने,

देखें है सपने उन्होंने बड़े प्यार से।।


शांत सरोवर सी उनकी मुलाकातें, 

याद है आज भी बचपन की बातें।

कैसे गुजरी हमारी माँ की वो रातें,

माँ को मम्मा हम कहके बतियाते।।


- गणपत लाल उदय

अजमेर, राजस्थान

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