नारी शक्ति - by Rachna gulati


नारी शक्ति

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वृक्ष की भाँति नारी

जड़ों से है मजबूत।

विषम परिस्थितियों में भी देती छाया

धैर्य, शक्ति का प्रतिरूप।


लक्ष्मी, दुर्गा, चंडी, भारती

ये विद्या, श्रद्धा, अन्नपूर्णा, शक्ति है।

ऋद्धि-सिद्धि सब कुछ है

यह पूर्ण भाव से समर्पित है।


अबला से बन रही सबला

बलिदान, ममता की साक्षात प्रतिमा।

जन्मदात्री, पालनहार, वीरांगना

मजबूत स्तम्भ है यह सृष्टि का।


बिन नारी न विकास समाज का,

न परिवार का आधार।

पुरुष भी न कुछ कर सके

अगर नारी का न हो साथ।


कंधे से कंधा मिलाकर

देती पुरुष को सहयोग।

नर की नारायणी शक्ति

करती हर कष्ट का निवारण।


खेल, विज्ञान,व्यवसाय,साहित्य,कला

हर क्षेत्र में नारी का डंका।

उड़ाकर विमान, चलाकर ट्रेन

समाप्त किया एकाधिकार पुरुष का।


आत्मविश्वास और हिम्मत से

उत्तरदायित्वों का करती निर्वाह।

अपने वर्चस्व के लिए 

मुश्किलों की न करे परवाह।


देती नवजीवन बन माँ

भरती रिश्तों में जान।

नारी से ही सुखी परिवार

करो नारी का सम्मान।


साहसी नारी आज इतनी 

करती अन्याय का प्रतिशोध।

प्रबल कर्मठता से

पकड़ी अधिकारों की डोर।


जीवन की ऊँचाइयों को छुआ,

पर पाँव रखे ज़मीं पर।

सब कुछ समाया है

नारी के उर के भीतर।


अपमान के कड़वे घूँट पीकर भी

तटस्थ है ये नारी।

चुनौतियों का करती मुकाबला

अन्तर्मन से कभी न हारी।


नारी शक्ति का क्या करूँ बखान

बस इतना ही कहना चाहूँगी।

इसका अस्तित्व इतना है

जैसे शरीर में बसते है प्राण।


- रचना गुलाटी

लुधियाना, पंजाब

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