वक्त की रफ्तार और हम - by Kuldeep Singh Ruhela
वक्त की रफ्तार और हम
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जीवन की इस भागदौड़ का,
पहिया देखो कैसे चलता है।
पल-पल जीवन देखो,
इंसान का कैसे वक्त बदलता है।
वक्त की रफ्तार ने,
देखो कैसा सितम ढाया है।
बड़े से बड़ा आदमी,
आज सड़क पर उतर आया है।
खाने पीने के भी आज देखो,
कैसे लाले पड़े हैं संसार में।
एक पल की साँस ने,
भी आज लोगो को तरसाया है।
आहट ज़रा भी होती हैं तो,
आज घबराहट-सी होती है।
आज प्रकृति ने देखो,
कैसा कहर ढाया है।
वक्त की रफ्तार का देखो आज,
समय कितना बुरा आया है।।
- कुलदीप सिंह रुहेला
सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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