कठिन है मंजिल की राहें - by Nadeem Aatish
कठिन है मंजिल की राहे लेकिन राहों पर चलना होगा।
बहुत मिलेंगे राह में लेकिन उन काँटों पर चलना होगा॥
मेहनत करके समय का पहिया निरंतर चलता रहता है।
दिवाकर सुबह निकलता है और शाम को ढलता रहता है
समझकर आज समय को काम पूरा समय पर करना होगा॥
आँख से टपके अश्रु तो उनको मोती बनाने की सोचो।
मंजिल दूर चाहे कितनी हो मंजिल पर जाने की सोचो।
ठोकर से अगर गिर जाओ तो उठकर फिर सम्हलना होगा॥
घिर गया बादल से यह जमाना चारो ओर अंधेरा है।
रात काली आई तो अगले पल रोशनी का सवेरा है।
बनकर अब रातों का जुगनू अंधेरो से गुजरना होगा॥
कोमल रस्सी के बल से पत्थर पर निशानी आ जाती है।
निरंतर चलने वाली पछुआ इस दुनियां में छा जाती है।
मंजिल की चाह मे आतिश सभी को निरंतर चलना होगा॥
Writer:- Nadeem Aatish
From:- Kelwara, Rajasthan (India)
वाह! बेहतरीन रचना
ReplyDeleteबधाई हो शानदार रचना
ReplyDeleteउत्तम रचना आतिश जी
ReplyDeleteबेहतर रचना
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeletekya kahane h kavi sahab
ReplyDeletewaah! kathin h manjil ki rahe
ReplyDeletekya baat h kavi ji
ReplyDeleteबेहतरीन कविता भैया
ReplyDeleteकामयाब हो आप यही दुआ है
बहुत खूब अनुज
ReplyDeleteतरक्की करते रहो
Congratulations! keep it up
ReplyDeleteबेहद उम्दा रचना
ReplyDeleteBahut khoob bhai
ReplyDeletekhoob tarakki karo
Waah! Kya kahane h
ReplyDeleteवाह भाई क्या बात है
ReplyDeleteKya baat h bhaijan congregation
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