कठिन है मंजिल की राहें - by Nadeem Aatish


कठिन है मंजिल की राहे लेकिन राहों पर चलना होगा।
बहुत मिलेंगे राह में लेकिन उन काँटों पर चलना होगा॥
मेहनत करके समय का पहिया निरंतर चलता रहता है।
दिवाकर सुबह निकलता है और शाम को ढलता रहता है
समझकर आज समय को काम पूरा समय पर करना होगा॥
आँख से टपके अश्रु तो उनको मोती बनाने की सोचो।
मंजिल दूर चाहे कितनी हो मंजिल पर जाने की सोचो।
ठोकर से अगर गिर जाओ तो उठकर फिर सम्हलना होगा॥
घिर गया बादल से यह जमाना चारो ओर अंधेरा है। 
रात काली आई तो अगले पल रोशनी का सवेरा है।
बनकर अब रातों का जुगनू अंधेरो से गुजरना होगा॥
कोमल रस्सी के बल से पत्थर पर निशानी आ जाती है।
निरंतर चलने वाली पछुआ इस दुनियां में छा जाती है‌।
मंजिल की चाह मे आतिश सभी को निरंतर चलना होगा॥

Writer:- Nadeem Aatish
From:- Kelwara, Rajasthan (India)

16 comments:

  1. वाह! बेहतरीन रचना

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  2. बधाई हो शानदार रचना

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  3. उत्तम रचना आतिश जी

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  4. बेहतरीन कविता भैया
    कामयाब हो आप यही दुआ है

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  5. बहुत खूब अनुज
    तरक्की करते रहो

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  6. बेहद उम्दा रचना

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  7. वाह भाई क्या बात है

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  8. Kya baat h bhaijan congregation

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